बड़े शौक से बनाया तुमने मेरे दिल मे अपना घर
जब रहने की बारी आई तो तुमने ठिकाना बदल दिया।
जब रहने की बारी आई तो तुमने ठिकाना बदल दिया।
इश्क का धंधा ही बंद कर दिया साहेब।
मुनाफे में जेब जले.. और घाटे में दिल..!
शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में,
जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं।
अपने वजूद पर इतना न इतरा ए ज़िन्दगी..
वो तो मौत है जो तुझे मोहलत देती जा रही है!!
कुछ तो बात है तेरी फितरत में ऐ दोस्त,
वरना तुझ को याद करने की खता हम बार-बार न करते!
चुपचाप गुज़ार देगें तेरे बिना भी ये ज़िन्दगी,
लोगो को सिखा देगें मोहब्बत ऐसे भी होती है।
ग़ैरों को भला समझे और मुझ को बुरा जाना..
समझे भी तो क्या समझे जाना भी तो क्या जाना।
किनारों से मुझे ऐ नाख़ुदा दूर ही रखना..
वहाँ ले कर चलो, तूफ़ान जहां से उठने वाला हैं।
जब किसी से कोई गिला रखना सामने अपने आईना रखना।
आंखों देखी कहने वाले, पहले भी कम-कम ही थे
अब तो सब ही सुनी-सुनाई बातों को दोहराते हैं।
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